शब्दों का यदि कहें ,आखिर सत्य क्या है
यदि शब्द ही सत्य हैं तो प्रक्रति प्रदत्त क्या है
माना की शब्दों ने जीवन को कई नए आयाम दिए हैं
एक साथ मिलकर शब्दों ने रचनात्मक निर्माण भी किये है
सच है शब्द खुद को फैलाने का आसान सहारा हैं
कभी गुस्सैल हैं ,कभी प्रेमी हैं तो कभी आवारा हैं
समझ पता हूँ इनकी ताकत तभी तो डरता हूँ
वेबस हूँ ,कुछ कहने को इन्ही का प्रयोग करता हूँ
मन की अभिव्यक्ति वेशक, शब्द की डाली पर फलती है
हुआ करते थे कभी सहारा,अब दुनिया शब्दों पर चलती है
शब्दों के हैं सौदागर यहाँ ,शब्दों के दीवाने हैं
नापना चाहो किसी को अगर शब्द ही पैमाने हैं
शब्दों से दुखित होते हैं, हम खुशियाँ इन्ही से पाते हैं
अंतर्मन के सभी फसाने इन्ही से महसूस किये जाते हैं
शब्दों के इस जगत में कुछेक को आसानी भी है
कुछ बेचारे यूँही वेबस है ,बरबस ही परेशानी भी है
कहीं कहीं शब्दों का लक्ष्य वार्तालाप है,और कुछ भी नहीं
भरमाने वाले इस जगत में अक्सर ऐसा होता तो नहीं
प्रतिशत वहुत कम है, मगर "मौन" भी जीवित है कहीं
हरेक को शब्द पर तौलने की कोशिश करना भी नहीं
शब्दों से बाँधकर तुमने जाने कितने अनुमान गढ़े होंगे
हो सकता है कुछेक तौल पर ठीक-ठाक भी चढ़े होंगे
हर एक गहराई को फिर भी एक मत समझ बैठना
कभी कभी निगाहों से भी मुश्किल होता है देखना
अनुमानों कि विनाह पर कुछ कम ही अकड़ना
जीवन इतना तरल है, की आसाँ नहीं है पकड़ना
वैसे तो दुनियाँ सरल है, शब्दों ने जटिल किया है
सीधा सा भी अगर सच है उसको भी घुमा दिया है
कुसूर नहीं ये तुम्हारा, सब ज़माने कि गलती है
हुआ करते थे सहारा, अब दुनियाँ शब्दों पर चलती है
कभी कभी अस्तित्व पर इतना प्यार होता है
करैं कुछ भी, कहें कुछ भी, सब बेकार होता है
माफ़ करैं हमें,यदि आपके दिल,हमारे शब्दों में ठनी है
कोशिश करना दूर हो सके,यदि कहीं ग़लतफ़हमी बनी है
शब्दों के प्रभाव को देखकर, अब खुद को सिकोड़ना चाहूँगा
पानी हूँ,बहना तो नहीं छोड़ सकता,हाँ रूख़ जरुर मोड़ना चाहूँगा