Friday, 14 August 2009

श्याम से कहो - पैसा कमाए

श्याम से कहो - पैसा कमाए मुरली तो बाद मे भी बजायी जा सकती है
प्रातः काल का समय, नीला आकाश और कही दूर नदी किनारे के पास से आती हुई सुरीली बांसुरी की लय ,इस बासुरी की लय पर तो मानो सब की सब प्रकृति नाच उठी हो ,फिर इस मानब हृरदय मे तो झंकार बज ही उठेगी ,इस बासुरी की तान पर तो राधा सुध-बुध खो देती है और गोपीयों को जीवन जीने की उर्जा मिल जाती है ; पूरा बाताबरण जैसे आनंदित हो गया हो जिस प्रकार जीवन तथा उसे जीने बालों मे ताल-मेल बन गया हो
पर २१वि सदी मैं तो ये सब बे सरपैर की बातें है क्योंकि अब तो बासुरी का अस्तित्व संकट मैं है, श्याम का मन उब गया है और राधा को भी ये सब कहाँ सुहाता है श्याम को उनके पिता ने अर्थ की अनंत भूख का शिकार बना दिया और राधा अब किसी महेंगे चार पहिया बाहन को महत्व देने लगी है प्रेम तो इस सदी मे कहाबत से ज्यादा कुछ रहा नही , हर जगह जरूरतें मुहबाये खड़ी है सदी मे प्रेम के अनेक प्रकार है और समय भी सुनिश्चित केर दिया गया है, और तो और सभी ने श्याम और राधा को इस बार वन्धन मे वान्धने का निर्णय भी केर लिया है ताकि अब कही श्याम और राधा को मिलने यमुना किनारे न जाना पड़े
राधा ने भी ये प्रण करलिया है की राधा अब श्याम की तभी होगी जब श्याम के पास एक बंगला, एक वाहन हो ,साथ ही श्याम ने किसी अच्छे महाविद्यालय से अर्थ- ब्यबस्था की पढ़ाई कर ली हो, रहा मुरली का सवाल तो वो छोटे बच्चो को दंड देने के काम आ ही जायगी
सच यह है, की मुरली का अस्तित्व तो खो गया है पर साथ ही साथ प्रेम भी चला गया ,जो जीवन का लक्ष्य होना चाहिए और यह बात गौर करने की है की हमने युवा मे जो पैसे की भूख भर दी है बह कभी ख़तम नही होने वाली और युवा को मानवीय संवेदनाओ से दूर करती जा रही है