Saturday 12 June, 2010

के प्याला जिंदगी का......

                              मत तौल के ये जिंदगी  बोझ नहीं है.
मत सोच के ये जिंदगी सोच नहीं है.
जी गया है ,जिसने खुद को पा लिया है 
      के  प्याला जिंदगी का मजे से पिया है......

बैसे तो दुनिया का कोई छोर नहीं है.
चला जा कहीं भी, तू कोई और नहीं है 
वाह रे भगवन ये तूने कैसा वर दिया है. 
दूसरों की सोच ने, अपंग कर दिया है.

तू ही है आसमां ,धरा भी तू ही  है.
दुनियां की नेमतों से भरा भी तू ही है .
अर्थ की तलब  ने, अनर्थ कर दिया है.
सुखों की तलाश ने, दुखों से भर दिया है 

जीवन जीने की, परिभाषाएं नहीं होती.
इस बात को समझने भाषाएँ नहीं होती.
समझने की चाह में, विवेक खो दिया  है .
युगों-युगों से कटुता का बीज बो दिया है .

न समझ इसे संघर्ष,ये कुस्ती नहीं है 
जीतने की प्यास कभी बुझती नहीं है.
बैर ने हसी से कितना दूर कर  दिया है.
प्याला इस जिंदगी का चूर कर दिया है .

निर्झर इस नदी को वेरोक बहने दो.
इसकी ये कहानी , इसी को कहने दो .
जीवन वही जो खुद की शर्तों पे जिया  हो.
के प्याला  जिंदगी का मजे से पिया हो......

9 comments:

संगीता पुरी said...

निर्झर इस नदी को वेरोक बहने दो.
इसकी ये कहानी , इसी को कहने दो .
जीवन वही जो खुद की शर्तों पे जिया हो.
के प्याला जिंदगी का मजे से पिया हो....
पर ऐसा कहां हो पाता है ??

रूपम said...

सच कहा आपने संगीता जी, की ऐसा हो नहीं पाता है .
पर इसके लिए भी शायद कुसूरवार हम ही होते है क्योंकि बिना करे कुछ भी नहीं होता है
हम खुद ही समझोते पर मजबूर हो जाते है, हम खुद ही घुटने टेक देते है ,
समाज की बनी सभी कुरीतियाँ तभी प्रचलित हुई है ,क्योंकि इनका विरोध नहीं हो सका.
अगर ठान लिया जाये, तो हम सभी जानते है की चिंगारी पूरे जंगल को जलाने के लिए पर्याप्त है

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

जीवन जीने की, परिभाषाएं नहीं होती.
इस बात को समझने भाषाएँ नहीं होती.
समझने की चाह में, विवेक खो दिया है .
युगों-युगों से कटुता का बीज बो दिया है .

बहुत सशक्त रचना है रूपम जी....अच्छा लगा पढ़ना

Anamikaghatak said...

sundar shabda rachana

रचना दीक्षित said...

बहुत अच्छी लगी ये रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मंगलवार 15- 06- 2010 को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है


http://charchamanch.blogspot.com/

वाणी गीत said...

जी गया है ,जिसने खुद को पा लिया है
के प्याला जिंदगी का मजे से पिया है......
जिसने जी लिया जी कर वही जिया है ....बहुत बढ़िया ...!!

Udan Tashtari said...

बहुत बढि़या!...बहुत अच्छा लिख रहे हो..बधाई!!

Anamikaghatak said...

jindagi anavarat chalne ka naam hai........ise aise chalne do.......
achchhi kavita