दिल में अजीब सी उलझन है
पर लगता यूँ है ,कुछ उम्मीद नजर आई है.
सब कुछ भुला देने को मन करता है,
तो ऐसी कौन सी बात याद आई है.
नजरों के सामने भीड़ दिखाई पड़ती है,
पर अन्दर तो दिखती तन्हाई है.
अँधेरा भी है और सन्नाटा भी,
पर देखा तो लगा, कोयल गाई है.
मौसम थमा सा और खुला सा दिखाई देता है,
फिर कहाँ से बिजली कि चमक आई है.
तन में थकन और आँखों में नीद है,
पर होंटों पर जागृत सी मुस्कान उभर आई है.
दिमाग ने मान ही लिया था इसे उदासी,
पर दिल ने कहा खुशी की झलक पाई है.
धरातल भी दिखाई पड़ता है, और आसमां भी,
क्षितिज ने पहली बार चादर हटाई है..........
2 comments:
"बहुत ही सुन्दर कविता रूपम......"
amitraghat.blogspot.com
बहुत बढ़िया.
Post a Comment