प्रेम धुन (कविता संग्रह)
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साँस लेता है कोई
श्याम से कहो - पैसा कमाए
दिवाली या सिर्फ सजी हुई इमारतें .....
क्या कहा .... प्रेम हो गया?
के प्याला जिंदगी का......
वो बोलता था सच
प्रेम हो जाये, तो इन्सान तर जाये
बस हम इंसान ही तो हैं ............
अच्छा लगे बड़ा ही ,कुदरत का ये वर्ताव
क्षितिज ने पहली बार चादर हटाई है
Monday, 12 September 2011
साँस लेता है कोई
खुद की ही गहराइयों में साँस लेता है कोई,
ख़ुशी में घुली उदासी , जान लेता है कोई.
अँधेरे और उजाले में, छिड़ा है पुरजोर द्वंद्व,
फिर कौन देखता है, दोनों को एक संग .
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