मत सोच के ये जिंदगी सोच नहीं है.
जी गया है ,जिसने खुद को पा लिया है
के प्याला जिंदगी का मजे से पिया है......
बैसे तो दुनिया का कोई छोर नहीं है.
चला जा कहीं भी, तू कोई और नहीं है
वाह रे भगवन ये तूने कैसा वर दिया है.
दूसरों की सोच ने, अपंग कर दिया है.
तू ही है आसमां ,धरा भी तू ही है.
दुनियां की नेमतों से भरा भी तू ही है .
अर्थ की तलब ने, अनर्थ कर दिया है.
सुखों की तलाश ने, दुखों से भर दिया है
जीवन जीने की, परिभाषाएं नहीं होती.
इस बात को समझने भाषाएँ नहीं होती.
समझने की चाह में, विवेक खो दिया है .
युगों-युगों से कटुता का बीज बो दिया है .
न समझ इसे संघर्ष,ये कुस्ती नहीं है
जीतने की प्यास कभी बुझती नहीं है.
बैर ने हसी से कितना दूर कर दिया है.
प्याला इस जिंदगी का चूर कर दिया है .
निर्झर इस नदी को वेरोक बहने दो.
इसकी ये कहानी , इसी को कहने दो .
जीवन वही जो खुद की शर्तों पे जिया हो.
के प्याला जिंदगी का मजे से पिया हो......