खुशहाली आज फिर से भरमाने को है ,
दिवाली आज फिर से आने को है।
दिलों में रक्खा क्या ,दीवारें साफ़ है ,
फिर क्या नजर दौडायिए,आप ही आप है.
धन की ये सालगिरह मानाने को है,
दिवाली फिर से आने को है।
फिर क्या नजर दौडायिए,आप ही आप है.
धन की ये सालगिरह मानाने को है,
दिवाली फिर से आने को है।
मोह्हले के बच्चे की पत्तल अधूरी है,
थाली का क्या हो, भोग लगाना पहले जरुरी है.
शुभकामनाओं का बाजार गरमाने को है
दिवाली आज फिर से आने को है।
थाली का क्या हो, भोग लगाना पहले जरुरी है.
शुभकामनाओं का बाजार गरमाने को है
दिवाली आज फिर से आने को है।
ज्योत का ज्योत से संगम दिखाया जायेगा,
इस बहाने रूखापन जिंदगी का छिपाया जायेगा.
अर्थ आज फिर से देवत्व पाने को है,
दिवाली आज फिर से आने को है।
इस बहाने रूखापन जिंदगी का छिपाया जायेगा.
अर्थ आज फिर से देवत्व पाने को है,
दिवाली आज फिर से आने को है।
कबीलों में कुछ समय फिर से मस्ती छाई है,
नफरत पसंदी इन दिलों को जिन्दादिली याद आई है
दुखित मन दिल खोल अपनापन दिखाने को है.
दिवाली आज फिर से आने को है।
दीपक क्या रात का कालापन दूर कर पायेगा,
धमाका क्या दिलों का सन्नाटा हटाने पायेगा.
सोये हुए दिलों में उत्साह समाने को है,
दिवाली आज फिर से आने को है।
धमाका क्या दिलों का सन्नाटा हटाने पायेगा.
सोये हुए दिलों में उत्साह समाने को है,
दिवाली आज फिर से आने को है।
सच को क्या किसी मौके की कवायत होती है,
हर दिन जीवन का सावन,हर रात दिवाली होती है
हर रोज की तरह एक आवाज उठाने को है
दिवाली है ,क्या रोज मनाने को है ।
हर दिन जीवन का सावन,हर रात दिवाली होती है
हर रोज की तरह एक आवाज उठाने को है
दिवाली है ,क्या रोज मनाने को है ।
4 comments:
बहुत बढिया रचना है।और ब्लोग भी बहुत सुन्दर बनाया है।बधाई स्वीकारें।
बहुत बढिया
u have rightly said ,Diwali is victim of consumerism, there is no true love
काश! इस गहरे यथार्थ को कोई समझ पाता
त्योहारों का असली आनंद तभी आता है.जब
केवल संवेदनाएं हमारे मध्य हों. लेकिन हमने त्योहारों
को नकली जामा पहना कर उन्हें सीधे अर्थ से जोड़ दिया है.
अब तो दीवाली भी वहीँ है जहाँ लक्ष्मी है.
धन की अंधी दौड़ ने जैसे मनुष्यता को निगल लिया है.
खैर त्यौहार तो हमारे दिलों में है. हर क्षण जीवन का आनंद लिया जाना चाहिए
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