Monday, 12 September 2011

साँस लेता है कोई



   खुद की ही गहराइयों में साँस लेता है कोई,
   ख़ुशी में घुली उदासी , जान लेता है कोई.
   अँधेरे और उजाले में, छिड़ा है पुरजोर द्वंद्व,
   फिर कौन  देखता है, दोनों को एक संग .




2 comments:

Deepak chaubey said...

sundar abhivakti
sadhuwaad

http://hindi-kavitayein.blogspot.com/

Rajeysha said...

ये सब मन का ही चमत्‍कार है मि‍त्र.... जि‍न्‍दगी का शॉट?